
गौरेया (Passer domesticus) एक छोटी और सामाजिक चिड़िया है, जो मनुष्यों के साथ सह-अस्तित्व में रहती आई है। इसकी लंबाई लगभग 14-16 सेमी होती है, और इसका वजन 24-40 ग्राम के बीच होता है। नर गौरेया के सिर पर ग्रे और काले रंग के चिह्न होते हैं, जबकि मादा गौरेया हल्के भूरे रंग की होती है। यह मुख्य रूप से अनाज, बीज, और छोटे कीड़ों का सेवन करती है।
गौरेया, जिसे हम सभी बचपन से अपने आंगन, छत, और बगीचों में चहकते हुए देखते आए हैं, आज विलुप्ति के कगार पर खड़ी है। 20 मार्च को हर साल विश्व गौरेया दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य इस छोटी सी चिड़िया के संरक्षण और इसके घटते अस्तित्व के प्रति लोगों को जागरूक करना है। यह दिवस हमें प्रकृति के साथ अपने संबंधों पर पुनर्विचार करने और पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के लिए प्रेरित करता है।
विश्व गौरेया दिवस एक महत्वपूर्ण पहल है जो गौरेया के संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करती है। यह दिन लोगों को इन छोटे पक्षियों की पारिस्थितिकीय भूमिका और उनके संरक्षण की आवश्यकता के बारे में शिक्षित करता है। गौरेया शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में घट रही हैं, और यह पर्यावरणीय स्वास्थ्य का संकेतक माना जाता है।
विश्व गौरेया दिवस (World Sparrow Day) एक वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय पहल है जो 20 मार्च को मनाई जाती है, जिसका उद्देश्य घरेलू गौरेया (house sparrow) और अन्य साधारण शहरी पक्षियों के संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। यह दिन विशेष रूप से उन खतरों पर ध्यान केंद्रित करता है जो इन पक्षियों की आबादी को प्रभावित कर रहे हैं, जैसे शहरीकरण, प्रदूषण और निवास स्थान की हानि। यह पहल भारत के नेचर फॉरएवर सोसायटी (Nature Forever Society) द्वारा शुरू की गई थी, जिसमें फ्रांस की एसोसिएशन एसोसिएशन एको-सिस एक्शन फाउंडेशन (Eco-Sys Action Foundation) और कई अन्य राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय संगठनों का सहयोग है।
विश्व गौरेया दिवस की अवधारणा 2010 में उभरी, जब नेचर फॉरएवर सोसायटी के कार्यालय में एक अनौपचारिक चर्चा के दौरान इसकी आवश्यकता महसूस की गई। इसकी शुरुआत मोहम्मद दिलावर (Mohammed Dilawar) ने की, जो एक भारतीय पर्यावरणविद और नेचर फॉरएवर सोसायटी के संस्थापक हैं। दिलावर को टाइम पत्रिका द्वारा “पर्यावरण के नायक” (Heroes of the Environment) में से एक के रूप में सम्मानित किया गया था, विशेष रूप से गौरेया के संरक्षण के लिए उनके प्रयासों के लिए। पहला विश्व गौरेया दिवस 2010 में विभिन्न देशों में मनाया गया, और तब से यह एक वार्षिक परंपरा बन गई है।
गौरैया का महत्व:
गौरैया मानव समुदायों का एक अभिन्न अंग रही है, और यह हमारी पारिस्थितिकी में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
– यह कीड़ों को खाती है और पारिस्थितिक तंत्र को संतुलित रखने में मदद करती है।
– गौरैया के बच्चे कीट-पतंगों को खाते हैं, जिससे ये पारिस्थितिकी तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं।
– यह परागण में भी मदद करती है और बीजों को फैलाने में योगदान करती है।
– कृषि के लिए लाभकारी कीड़ों को खाती है, जिससे प्राकृतिक कीट नियंत्रण होता है।
– जैव विविधता को बनाए रखने में सहायक होती है।
क्यों मनाया जाता है विश्व गौरेया दिवस :-
विश्व गौरेया दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य इस प्यारी चिड़िया के संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। पिछले कुछ दशकों में गौरेया की संख्या में तेजी से गिरावट आई है, जिसके पीछे कई कारण हैं, जैसे –
- शहरीकरण: आधुनिक इमारतों और बगीचों में गौरैया के लिए घोंसले बनाने के लिए पर्याप्त जगह नहीं होती है।
- कीटनाशकों का उपयोग: कृषि में कीटनाशकों का उपयोग गौरैया के भोजन को कम करता है और उन्हें जहर देता है।
- मोबाइल टावरों से विकिरण: मोबाइल टावरों से निकलने वाला विकिरण गौरैया के प्रजनन और जीवन शक्ति को प्रभावित करता है।
- भोजन की कमी: आधुनिक स्वच्छता प्रथाओं के कारण, गौरैया के लिए भोजन कम उपलब्ध है।
- प्राकृतिक जल स्रोतों की कमी: तालाब, पोखर, और छोटे जल स्रोत सूख जाने से गौरेया को पीने का पानी और स्नान के लिए स्थान नहीं मिलते।
गौरेया संरक्षण के प्रयास :-
गौरेया संरक्षण के लिए कई सरकारी और गैर-सरकारी संगठन सक्रिय हैं। कुछ प्रमुख प्रयास इस प्रकार हैं:
1. नेचर फॉरएवर सोसाइटी: इस संगठन ने विश्व गौरेया दिवस की शुरुआत की थी और यह गौरेया संरक्षण के लिए जागरूकता फैलाने का कार्य कर रहा है।
2. घोंसला अभियान: विभिन्न संगठनों द्वारा लकड़ी, मिट्टी, और अन्य प्राकृतिक सामग्रियों से गौरेया के घोंसले बनाए जाते हैं और उन्हें शहरी क्षेत्रों में लगाया जाता है।
3. सार्वजनिक भागीदारी: स्थानीय लोग अपने घरों में और छतों पर पानी व अनाज रखकर गौरेया को भोजन और जल उपलब्ध करवा सकते हैं।
4. कृषि क्षेत्र में जैविक खेती को प्रोत्साहन: कीटनाशकों के कम उपयोग से गौरेया को प्राकृतिक भोजन मिल सकता है।
पर्यावरण शिक्षा और गौरैया संरक्षण :
- – विश्व गौरैया दिवस का एक प्रमुख उद्देश्य पर्यावरण शिक्षा को बढ़ावा देना है।
- – बच्चों और युवाओं को यह समझाना जरूरी है कि प्रकृति के हर तत्व का अपना महत्व है।
- – स्कूलों में कार्यशालाएँ, पक्षीघर (नेस्ट बॉक्स) बनाने की गतिविधियाँ और पौधरोपण जैसे कार्यक्रम इस दिन को खास बनाते हैं।
- – घरों के आसपास पक्षियों के लिए पानी और दाने रखें।
- – घोंसले बनाने के लिए लकड़ी या कृत्रिम नेस्ट बॉक्स लगाएँ।
- – कीटनाशकों का उपयोग कम करें और जैविक खेती को बढ़ावा दें।
- – स्कूलों और कॉलेजों में गौरेया संरक्षण को एक जागरूकता अभियान के रूप में अपनाया जा सकता है।
- – छात्रों को गौरेया और अन्य पक्षियों के संरक्षण की शिक्षा दी जानी चाहिए।
- – छात्रों को अपने घरों और स्कूलों में गौरेया के लिए घोंसले बनाने और उन्हें भोजन-पानी उपलब्ध कराने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है।
- – पेड़-पौधे अधिक लगाने से न केवल गौरेया बल्कि अन्य जीव-जंतुओं को भी लाभ मिलेगा।
Key Points:
- – विश्व गौरेया दिवस हर साल 20 मार्च को मनाया जाता है, जो गौरेया और अन्य साधारण पक्षियों के संरक्षण के लिए जागरूकता बढ़ाने का दिन है।
- – यह 2010 में नेचर फॉरएवर सोसायटी, भारत द्वारा शुरू किया गया था, और इसका उद्देश्य शहरी पर्यावरण में इन पक्षियों की घटती आबादी के प्रति ध्यान आकर्षित करना है।
- – 2025 का विषय “I LOVE SPARROW” है, जो लोगों को गौरेया के संरक्षण के लिए प्रेरित करता है।
- – गतिविधियाँ जैसे कला प्रतियोगिताएँ और जागरूकता अभियान इस दिन आयोजित किए जाते हैं।
Theme for 2025 :-
2025 के लिए विश्व गौरेया दिवस का विषय “I LOVE SPARROW” है, जो पिछले वर्षों से जारी है। यह विषय लोगों और गौरेया के बीच के लंबे समय से चले आ रहे संबंध को मनाने पर केंद्रित है, जो हजारों वर्षों से हमारे साथ रहे हैं। इस विषय का उद्देश्य लोगों को गौरेया के प्रति प्रेम व्यक्त करने और उनके संरक्षण के लिए छोटे-छोटे कदम उठाने के लिए प्रेरित करना है, जैसे पक्षी घर बनाना, पक्षी भोजन प्रदान करना, और शहरी पर्यावरण में उनके लिए उपयुक्त निवास स्थान सुनिश्चित करना। यह विषय नागरिकों से विभिन्न क्षेत्रों से गौरेया संरक्षण में योगदान देने और अपनी कहानियों को साझा करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
गौरेया संरक्षण सिर्फ एक अभियान नहीं, बल्कि हमारी जिम्मेदारी है। यदि हम अपने आस-पास के वातावरण को गौरेया के अनुकूल बनाएंगे, तो यह न केवल इस चिड़िया को बचाने में मदद करेगा बल्कि पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित रखने में भी योगदान देगा। हमें यह समझना होगा कि गौरेया बचाने का अर्थ है—पर्यावरण बचाना और धरती को एक बेहतर स्थान बनाना।
20 मार्च को विश्व गौरेया दिवस के अवसर पर हम सभी को इस प्यारी चिड़िया के संरक्षण के लिए आगे आना चाहिए और इसे बचाने के लिए छोटे-छोटे लेकिन प्रभावशाली कदम उठाने चाहिए।
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