आदिवासियों की कला और संस्कृति उनकी परंपराओं, रहन-सहन और आध्यात्मिकता का अनूठा प्रतिबिंब है। उनकी चित्रकला, मूर्तिकला, नृत्य, संगीत और हस्तशिल्प प्राकृतिक तत्वों और लोककथाओं से प्रेरित होते हैं। गोंड, संथाल, भील, वारली जैसी जनजातियों की कला विश्वप्रसिद्ध है। पारंपरिक लोकनृत्य जैसे कर्मा, सैल, घूमर और संथाली नृत्य उनकी सांस्कृतिक पहचान को दर्शाते हैं। उनकी संस्कृति में प्रकृति की आराधना, सामुदायिक जीवन और पारंपरिक ज्ञान की प्रमुख भूमिका होती है। आधुनिक समय में भी उनकी कला और परंपराएं जीवंत बनी हुई हैं और वैश्विक स्तर पर सराही जा रही हैं।

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