
छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिला मुख्यालय में फागुन मेला (दंतेवाड़ा) 2025
छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिला मुख्यालय में हर साल धूमधाम से आयोजित होने वाला फागुन मेला (दंतेवाड़ा) इस वर्ष भी बड़े उत्साह के साथ आरंभ हुआ है। यह मेला स्थानीय परंपराओं, सांस्कृतिक धरोहर तथा धार्मिक आस्था का प्रतीक है। फागुन मेला 2025 दिनांक 05 मार्च 2025 से प्रारंभ होकर दिनांक 15 मार्च 2025 को संपन्न होगा। आज मेंडका डोबरा मैदान में कलश स्थापना एवं ताड़पलंगा दोनी रस्म के साथ इस मेले का विधिवत शुभारंभ हो गया है।
फागुन मेले का पहला दिन और प्रमुख आकर्षण
फागुन मेले के पहले दिन का मुख्य आकर्षण बस्तर की कुलदेवी माँ दंतेश्वरी एवं मावली याया (माता) की पालकी यात्रा रहती है। इस यात्रा की शुरुआत दंतेश्वरी माँ के मन्दिर से हुई, जहां से माँ दंतेश्वरी और मावली याया की पालकियां निकाली गईं। नारायण मंदिर रवाना होने से पहले सशस्त्र गार्डों ने हवाई फायर कर देवी को सलामी दी। इस यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं ने पूरे माहौल को भक्तिमय बना दिया। पोटानार क्षेत्र के मुंडा बाजा वादक पालकी के आगे-आगे स्तुति गायन कर रहे थे, जबकि फाग मंडली के लोग प्रधान पुजारी हरेंद्र नाथ जिया के साथ फाग गीत गाकर माताजी की वंदना कर रहे थे।
फागुन मेले की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
लोककथाओं और जनश्रुति के अनुसार 600 साल पहले दंतेवाड़ा क्षेत्र में शिकार करने की प्रथा थी। जंगली जानवर क्षेत्र के निवासियों के खेतों को नष्ट कर देते थे। तब लोगों ने यहाँ के तत्कालीन राजा से खेतों को जानवरों से बचाने के लिए विनती की। राजा ने कुलदेवी माँ दंतेश्वरी की आराधना कर अनुमति लेकर शिकार करना शुरू किया, तब से ही शिकार (आखेट) के नाट्य रूपांतरण एवं विभिन्न रस्मों का पालन मेले के विधिवत शुरुआत के बाद से किया जाता आ रहा है। इसी दिन से फागुन मेला की परंपरा शुरू हुई।
फागुन मेले के प्रमुख रस्म और तिथियां
| तिथि | रस्म का नाम |
|---|---|
| 05 मार्च 2025 | कलश स्थापना एवं ताड़पलंगा दोनी |
| 06 मार्च 2025 | खोरखुंदनी |
| 07 मार्च 2025 | नाव मांडनी |
| 08 मार्च 2025 | लम्हा मार |
| 09 मार्च 2025 | कोडरी मार |
| 10 मार्च 2025 | चितल मार |
| 11 मार्च 2025 | गंवर मार |
| 12 मार्च 2025 | मेला – मंडई का आयोजन |
| 13 मार्च 2025 | आंवरा मार |
| 14 मार्च 2025 | रंग-भंग |
| 15 मार्च 2025 | देवी – देवताओं की विदाई |
फागुन मेले में देवी-देवताओं की उपस्थिति
फागुन मेले में हर साल आसपास के गाँवों और क्षेत्रों से देवी-देवताओं के प्रतीक स्वरूप ध्वजा लेकर आने वाले समूह सम्मिलित होते हैं। इस बार भी विभिन्न क्षेत्रों से देवी-देवताओं के आगमन का सिलसिला शुरू हो गया है। पिछले वर्ष 850 से अधिक देवी-देवताओं की उपस्थिति दर्ज की गई थी, जबकि इस वर्ष यह संख्या 1000 के करीब पहुंचने की संभावना जताई जा रही है। यह दर्शाता है कि फागुन मेला की धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता साल-दर-साल बढ़ रही है।
फागुन मेले के अन्य प्रमुख आकर्षण
फागुन मेले 2025 के दौरान विभिन्न प्रकार के धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इसमें प्रमुख रूप से –
- पारंपरिक लोकनृत्य।
- भजन-कीर्तन।
- नाट्य मंचन।
- हस्तशिल्प और हस्तनिर्मित वस्तुओं की बिक्री।
- स्थानीय व्यापार और रोजगार के अवसर।
फागुन मेला: आस्था, संस्कृति और उत्सव का संगम
दंतेवाड़ा का फागुन मेला केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह संस्कृति, इतिहास और सामाजिक समरसता का एक जीवंत उत्सव है। हर वर्ष इस मेले में बढ़ती श्रद्धालुओं की संख्या यह दर्शाती है कि यह आयोजन लोगों के दिलों में अपनी खास जगह बनाए हुए है। देवी दंतेश्वरी और माता मावली की पालकी यात्रा से लेकर फाग मंडली के गीतों तक, हर पहलू इस मेले को भव्य और अनोखा बनाता है।
इस ऐतिहासिक और पावन अवसर पर, सभी श्रद्धालुओं को देवी दंतेश्वरी का आशीर्वाद प्राप्त हो और यह मेला साल-दर-साल नई ऊंचाइयों तक पहुंचे, यही कामना है।
